Aigiri Nandini Lyrics | ऐगिरी नंदिनी लिरिक्स | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

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Aigiri Nandini Lyrics: महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, जिसे आमतौर पर ऐगिरी नंदिनी (Aigiri Nandini) के नाम से जाना जाता है, देवी दुर्गा की स्तुति में एक शक्तिशाली और लोकप्रिय स्तोत्र है.

यह Aigiri Nandini Lyrics में देवी दुर्गा की महिमा, उनके रूप, शक्तियों, और महिषासुर जैसे राक्षसों का संहार करने की क्षमता का वर्णन किया गया है. Aigiri Nandini स्तोत्र देवी की शक्ति, करुणा, और भक्तों के प्रति उनकी रक्षा की भावना को प्रकट करता है.

इस Aigiri Nandini Lyrics स्तोत्र के रचयिता महान आदि शंकराचार्य माने जाते हैं. उन्होंने इस स्तोत्र की रचना देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करने और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा विकसित करने के उद्देश्य से की थी.

नवरात्रि के नौ दिनों में Aigiri Nandini का पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है. साथ ही विजयादशमी, दुर्गा अष्टमी, और रविवार या शुक्रवार को भी इसका पाठ किया जा सकता है.

Aigiri Nandini (महिषासुर मर्दिनी) स्तोत्र देवी दुर्गा की शक्ति, करुणा, और धर्म की विजय का एक सुंदर उदाहरण है. Aigiri Nandini Lyrics पाठ व्यक्ति को शक्ति, शांति, और सफलता प्रदान करता है.

श्रद्धा और विश्वास के साथ Aigiri Nandini नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है. Aigiri Nandini Lyrics अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ जरुर शेयर करे. आपके अमूल्य सुझाव हमें Contact Us पर जरुर लिख भेजे.

CategoryDetails
नामऐगिरी नंदिनी (महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र)
रचयिताआदि शंकराचार्य
समर्पितदेवी दुर्गा (महिषासुर मर्दिनी)
भाषासंस्कृत
रचना शैलीस्तोत्र (स्तोत्रम)
मुख्य उद्देश्यदेवी दुर्गा की शक्ति और महिमा का गुणगान
मुख्य कथामहिषासुर के वध और अधर्म पर धर्म की विजय का वर्णन.

Aigiri Nandini Lyrics

Aigiri Nandini Lyrics

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोडधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूतिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१॥

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि कल्मषमोषिणि घोषरते ।

दनुजनिरोषिणि दुर्मदशोषिणि दुर्मुनिरोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२॥

अयि जगदम्ब कदम्बवनप्रियवासिनि तोषिणि हासरते
शिखरिशिरोमणितुङ्गहिमालयशृङ्गनिजालयमध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि महिषविदारिणि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥३॥

अयि निजहुंकृतिमात्रनिराकृतधूम्रविलोचनधूम्रशते
समरविशोषितरोषितशोणितबीजसमुद्भवबीजलते ।

शिवशिवशुम्भनिशुम्भमहाहवतर्पितभूतपिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥४॥

अयि शतखण्डविखण्डितरुण्डवितुण्डितशुण्डगजाधिपते
निजभुजदण्डनिपातितचण्डविपाटितमुण्डभटाधिपते ।

रिपुगजगण्डविदारणचण्डपराक्रमशौण्डमृगाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥५॥

धनुरनुषङ्गरणक्षणसङ्गपरिस्फुरदङ्गनटत्कटके
कनकपिशङ्गपृषत्कनिषङ्गरसद्भटशृङ्गहताबटुके ।

हतचतुरङ्गबलक्षितिरङ्गघटद् बहुरङ्गरटद् बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥६॥

अयि रणदुर्मदशत्रुवधाद्धुरदुर्धरनिर्भरशक्तिभृते
चतुरविचारधुरीणमहाशयदूतकृतप्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीहदुराशयदुर्मतिदानवदूतदुरन्तगते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥

अयि शरणागतवैरिवधूजनवीरवराभयदायिकरे
त्रिभुवनमस्तकशूलविरोधिशिरोधिकृतामलशूलकरे ।

दुमिदुमितामरदुन्दुभिनादमुहुर्मुखरीकृतदिङ्निकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥८॥

सुरललनाततथेयितथेयितथाभिनयोत्तरनृत्यरते
कृतकुकुथाकुकुथोदिडदाडिकतालकुतूहलगानरते ।

धुधुकुटधूधुटधिन्धिमितध्वनिघोरमृदङ्गनिनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥९॥

जय जय जाप्यजये जयशब्दपरस्तुतितत्परविश्वनुते
झणझणझिंझिमझिंकृतनूपुरशिञ्जितमोहितभूतपते ।

नटितनटार्धनटीनटनायकनाटननाटितनाट्यरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१०॥

अयि सुमनःसुमनःसुमनःसुमनःसुमनोरमकान्तियुते
श्रितरजनीरजनीरजनीरजनीरजनीकरवक्त्रभृते ।

सुनयनविभ्रमरभ्रमरभ्रमरभ्रमरभ्रमराभिदृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥११॥

महितमहाहवमल्लमतल्लिकवल्लितरल्लितभल्लिरते
विरचितवल्लिकपालिकपल्लिकझिल्लिकभिल्लिकवर्गवृते ।

श्रुतकृतफुल्लसमुल्लसितारुणतल्लजपल्लवसल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१२॥

अयि सुदतीजन लालसमानसमोहनमन्मथराजसुते
अविरलगण्डगलन्मदमेदुरमत्तमत्तङ्गजराजगते ।

त्रिभुवनभूषणभूतकलानिधिरूपपयोनिधिराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१३॥

कमलदलामलकोमलकान्तिकलाकलितामलभालतले
सकलविलासकलानिलयक्रमकेलिचलत्कलहंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुलकुन्तलमण्डलमौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१४॥

करमुरलीरववर्जितकूजितलज्जितकोकिलमञ्जुमते
मिलितमिलिन्दमनोहरगुञ्जितरञ्जितशैलनिकुञ्जगते ।

निजगणभूतमहाशबरीगणरङ्गणसम्भृतकेलिरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१५॥

कटितटपीतदुकूलविचित्रमयूखतिरस्कृतचण्डरुचे
जितकनकाचलमौलिमदोर्जितगर्जितकुञ्जरकुम्भकुचे ।

प्रणतसुराऽसुरमौलिमणिस्फुरदंशुलसन्नखचन्द्ररुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१६॥

विजितसहस्रकरैकसहस्रकरैकसहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारकसङ्गरतारकसङ्गरतारकसूनुनुते ।

सुरथसमाधिसमानसमाधिसमानसमाधिसुजाप्यरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१७॥

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परं पदमस्त्विति शीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१८॥

कनकलसत्कलशीकजलैरनुषिञ्चति तेऽङ्गणरङ्गभुवं
भजति स किं न शचीकुचकुम्भनटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि सुवाणि पथं मम देहि शिवं
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१९॥

तव विमलेन्दुकलं वदनेन्दुमलं कलयन्ननुकूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दुमुखीसुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवमानधने भवती कृपया किमु न क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२०॥

अयि मयि दीनदयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननीति यथाऽसि मयाडसि तथाडनुमतासि रमे ।

यदुचितमत्र भवत्पुरगं कुरु शाम्भवि देवि दयां कुरु मे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२१॥

स्तुतिमिमां स्तिमितः सुसमाधिना नियमतो यमतोडनुदिनं पठेत् ।
परमया रमया स निषेव्यते परिजनोडरिजनोडपि च तं भजेत् ॥२२॥

॥ इति श्रीसंकटास्तुतिः सम्पूर्ण ॥

Aigiri Nandini Lyrics PDF

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दोस्तों, हमने आपके लिए Aigiri Nandini Lyrics तैयार किया है. जो आपकी भक्ति को नए आयाम तक पहुचाने में आपकी हेल्प करेगा. इसे अपने मोबाइल में डाउनलोड अभी करे.

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का महत्व

शक्ति की आराधना: Aigiri Nandini स्तोत्र देवी दुर्गा के स्वरूप और उनकी शक्ति का प्रतीक है.

धर्म की विजय: Aigiri Nandini Lyrics धर्म के प्रति समर्पण और अधर्म के विनाश का संदेश है.

आध्यात्मिक शांति: Aigiri Nandini का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और ध्यान केंद्रित होता है.

साहस और आत्मबल: Aigiri Nandini स्तोत्र व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास का संचार करता है.

धार्मिक अनुष्ठान: Aigiri Nandini Lyrics नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और विजयादशमी जैसे धार्मिक अवसरों पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.



In Last

दोस्तों, देवी दुर्गा की शक्तियों का गान करने से भक्त को साहस और आत्मबल मिलता है. नकारात्मक ऊर्जा और भय को समाप्त करने के लिए यह Aigiri Nandini स्तोत्र अत्यंत प्रभावी है.

Aigiri Nandini पढ़ने से व्यक्ति अपने जीवन के संघर्षों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. Aigiri Nandini स्तोत्र मानसिक शांति और सकारात्मकता का अनुभव कराता है.

साथ ही देवी दुर्गा की आराधना करने से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है. महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र देवी दुर्गा की शक्ति, करुणा, और धर्म की विजय का एक सुंदर उदाहरण है। इसका पाठ व्यक्ति को शक्ति, शांति, और सफलता प्रदान करता है.

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