Krishna Chalisa: कृष्ण चालीसा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचा गया एक अत्यंत लोकप्रिय भजन है, जो 40 छंदों में भगवान के गुणों, लीलाओं और महिमा का वर्णन करता है.
यह Krishna Chalisa भक्ति मार्ग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और इसे गाने या पढ़ने से भक्त को आध्यात्मिक लाभ, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
“चालीसा” शब्द का अर्थ है “चालीस छंद”. Krishna Chalisa में भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनके दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है. यह भक्तों को भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम को गहराई से अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है.
Krishna Chalisa का नियमित पाठ मन और आत्मा को शुद्ध करता है. साथ ही Krishna Chalisa मानसिक तनाव और अशांति को दूर करने में सहायक है. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी साधन है.
ये Krishna Chalisa को किसी भी समय गाया या पढ़ा जा सकता है. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर Krishna Chalisa पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इसे अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ जरुर शेयर करे.
दोस्तों, Krishna Chalisa का निरंतर पाठ करे और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करे. अगर आपके कोई सुझाव, प्रश्न या सलाह है तो हमें Contact Us पे जरुर लिख भेजे. हमारे साथ जुड़े रहे. जय श्री कृष्णा.
विषय | विवरण |
कृष्ण चालीसा क्या है? | भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति और आराधना के लिए 40 छंदों का भजन. |
महत्व | श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने, मन की शांति पाने और सुख-समृद्धि के लिए गाया जाता है. |
रचना | यह हिंदी भाषा में रचित है और सरल शब्दों में लिखा गया है. |
लेखक | पारंपरिक रूप से लेखक अज्ञात है, लेकिन इसे भक्तिकाल की रचना माना जाता है. |
गायन का समय | जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, या किसी भी शुभ अवसर पर पढ़ा जाता है. |
पाठ का स्वरूप | प्रत्येक छंद भगवान कृष्ण के गुण, लीलाओं और महिमा का वर्णन करता है. |
आध्यात्मिक लाभ | भक्ति, मानसिक शांति, और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम बढ़ाने में सहायक. |
लोकप्रियता | भारत के अधिकांश भागों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है. |
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Krishna Chalisa Lyrics
|| दोहा ||
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥
|| चालीसा ||
जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।
कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तार्यो।
अका बका कागासुर मार्यो॥
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई।
मूसर धार वारि वर्षाई॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहार्यो।
कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मार्यो।
भक्तन के तब कष्ट निवार्यो॥
दीन सुदामा के दुख टार्यो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्यो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालीग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥
अस अनाथ के नाथ कन्हइया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥
‘सुन्दरदास’ आस उर धारी।
दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥
|| दोहा ||
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥
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Krishna Chalisa PDF
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कृष्ण चालीसा के लाभ
सकारात्मक ऊर्जा: Krishna Chalisa का पाठ नकारात्मक विचारों को समाप्त करता है और सकारात्मकता बढ़ाता है.
तनाव मुक्ति: Krishna Chalisa मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है.
भक्ति की गहराई: भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देता है.
जीवन की कठिनाइयों का समाधान: Krishna Chalisa जीवन की समस्याओं का समाधान करने और सही दिशा में आगे बढ़ने की शक्ति देता है.
सुख-शांति: Krishna Chalisa गाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है.
आध्यात्मिक उन्नति: भक्त को आध्यात्मिक प्रगति और भगवान के करीब जाने का अनुभव होता है.
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Shri Krishna Chalisa
Krishna Chalisa भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का एक अद्भुत माध्यम है. Krishna Chalisa पढ़ने से न केवल भगवान की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त होता है.
यदि आप भक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नियमित रूप से Krishna Chalisa का पाठ करें.
In Last
Krishna Chalisa का नियमित पाठ करने से भक्तों की जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति आती है. इसके साथ ही, Krishna Chalisa व्यक्ति को अपने जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है.
भक्त मानते हैं कि Krishna Chalisa के पाठ से कृष्ण भगवान उनके सभी कष्टों का निवारण करते हैं और उन्हें जीवन में सुख और सफलता प्रदान करते हैं. यह कृष्ण चालीसा को अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ अचूक शेयर करे. हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आपका शुक्रिया.
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