Ambe Ji Ki Aarti: अंबे जी की आरती, जिसे “जय अम्बे गौरी” के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के दौरान गाई जाने वाली सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है.
यह Ambe Ji Ki Aarti देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है और विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और अन्य देवी पूजन के अवसरों पर गाई जाती है. Ambe Ji Ki Aarti भक्तों के मन में शक्ति, भक्ति और सकारात्मकता का संचार करती है. देवी अंबे को शक्ति और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.
Ambe Ji Ki Aarti को सुबह और शाम के समय गाना शुभ माना जाता है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा जैसे विशेष पर्वों पर इसे दिन में कई बार गाया जाता है. इस Ambe Ji Ki Aarti आरती के माध्यम से भक्त माँ अम्बे को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं.
अम्बे जी को शक्ति, साहस, और विजय की देवी के रूप में पूजा जाता है. माता दुर्गा के नौ रूपों की उपासना नवरात्रि के दौरान की जाती है, और हर दिन एक विशेष रूप की आराधना होती है.
यह Ambe Ji Ki Aarti पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है, जो देवी के भक्तों को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है. Ambe Ji Ki Aarti का गान करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है.
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विषय | महत्वपूर्ण जानकारी |
आरती का नाम | अंबे जी की आरती (जय अम्बे गौरी) |
समर्पित देवी | माता अंबे (दुर्गा जी) |
भाषा | हिंदी, संस्कृत |
गायन का समय | सुबह और शाम |
मुख्य उद्देश्य | देवी अंबे की कृपा प्राप्त करना और शक्ति, ज्ञान एवं सुख-समृद्धि की कामना करना. |
आरती के लाभ | भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करना. |
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Ambe Ji Ki Aarti Lyrics
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
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Ambe Ji Ki Aarti PDF
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अंबे जी की आरती के लाभ
भयमुक्त जीवन: माँ अम्बे जी की आरती गाने से व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्त हो जाता है.
धन-संपत्ति: माता अंबे की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
मानसिक शांति: अम्बे जी की आरती के दौरान ध्यान करने से मन को शांति और सुकून मिलता है.
परिवार की सुरक्षा: अम्बे जी की आरती पूरे परिवार की सुख-शांति और सुरक्षा के लिए लाभकारी है.
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Maa Ambe Ji Ki Aarti
नवरात्रि के दिनों में माँ अम्बे जी की आरती का विशेष महत्व होता है. इन दिनों भक्त नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं. माँ अम्बे जी की आरती के माध्यम से भक्त देवी से अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना करते हैं. यह आरती हर दिन सुबह और शाम की जाती है.
माँ अम्बे की आरती से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. आरती के माध्यम से देवी अपने भक्तों की सभी समस्याओं को हल करती हैं. माँ अम्बे की कृपा से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन सुखमय बनता है.
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In Last
अम्बे जी को माता का सर्वोच्च स्वरूप माना गया है, जो संसार के हर संकट का समाधान करती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. इस आरती के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और देवी से शक्ति, समृद्धि, और सुख-शांति का आशीर्वाद मांगते हैं.
इसे नवरात्रि और विशेष पर्वों पर गाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. माँ अम्बे जी की आरती को अपने प्रियजनों के साथ जरुर शेयर करे. हमारे साथ जुड़े रहे.
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